अपने क्षितिजों का भौगोलिक, सांस्कृतिक, भावात्मक और बौद्धिक रूप से विस्तार करते हुए हमारे पास तुलना करने के लिए आखिर यात्रा के अलावा और भला कौन से अनुभव है । यह उक्ति मैक स्मिथ और रोजालीन डफी ने अपने विश्लेषण "फुर्सत, पर्यटन एवं मोबिलिटी का समसामयिक भूगोल" में कही है । यात्रा की क्षमता/प्रभोत्पादकता को कभी बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहा जा सकता । साथ ही वर्तमान समय में यात्रा करना सहज होता जा रहा है । इसके लिए रेलवे के उन्नत एवं व्यापक नेटवर्क तथा उसकी प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है ।
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