उत्तर-रेलवे उत्कृष्टता की ओर सदैव अग्रसर
अपने क्षितिजों का भौगोलिक, सांस्कृतिक, भावात्मक और बौद्धिक रूप से विस्तार करते हुए हमारे पास तुलना करने के लिए आखिर यात्रा के अलावा और भला कौन से अनुभव है । यह उक्ति मैक स्मिथ और रोजालीन डफी ने अपने विश्लेषण "फुर्सत, पर्यटन एवं मोबिलिटी का समसामयिक भूगोल" में कही है । यात्रा की क्षमता/प्रभोत्पादकता को कभी बढ़ा-चढ़ाकर नहीं कहा जा सकता । साथ ही वर्तमान समय में यात्रा करना सहज होता जा रहा है । इसके लिए रेलवे के उन्नत एवं व्यापक नेटवर्क तथा उसकी प्रतिबद्धता परिलक्षित होती है ।
भारतीय रेलवे के मुकुट में हीरे की तरह जड़े उत्तर रेलवे ने सभी दूरियों को समाप्त करने का मिशन शुरू किया है तथा अपने अस्तित्व का रूपक निर्मित किया है । औपचारिक रूप से 1952 में गठित यह रेलवे हाल ही में भारतीय रेलवे के 16 जोनों में पुर्नगठित होने के बावजूद भी सबसे अधिक रूट किलोमीटर वाला रेलवे है । पहले के 1104.43 रूट किलोमीटर से अब 6807.90 रूट किलोमीटर रह जाने वाले इस रेलवे में अब पाँच मण्डल अम्बाला, दिल्ली, फिरोजपुर, लखनऊ और मुरादाबाद हैं ।
उत्तर रेलवे का क्षेत्र
जम्मू एवं कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और केन्द्र शासित प्रदेश चण्डीगढ़ में फैला उत्तर रेलवे प्रायद्वीप के ऊपर स्थित उत्कर्ष बिन्दु के रूप में प्रतीत होते हुए अपनी कार्यशैली का विस्तार शेष भारत पर करता रहता है ।
उत्तर रेलवे पर विशेष पर्यटन स्थल
भारत के प्रत्येक भू-भाग की एक अनोखी कहानी है । यहां कुछ विशेष स्थानों का उल्लेख किया जा रहा है, जो भारत की सांस्कृतिक विशेषताओं का उल्लेख करते हैंउत्तर रेलवे के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र भी विविधतापूर्ण भौगोलिक परिवेश वाला है । जहाँ एक ओर शिवालिक पर्वत श्रंखलाएं हैं, वहीं दूसरी ओर थार का मरूस्थल है । एक और तराई प्रांत का हरीतिमा वाला प्रदेश है दूसरी ओर गंगा के विशाल समतल मैदान हैं । देश के उत्तर में सीमा रेखा की तरह विशाल हिमालय है जिसकी चोटियाँ विश्व में सबसे ऊंची है । हिमालय किसी एक पर्वत का नाम नहीं बल्कि यह अनेक चोटियों का समूह है िजसमें बहुत सी खूबसूरत घाटियाँ भी हैं । हिमालय के दक्षिणी छोर की चोटियाँ जो शिवालिक पर्वत श्रंखलाओं के नाम से प्रसिद्ध है, भारत में उत्तर के समतल मैदानों पर आकर समाप्त होती है । आसमान से बातें करतीं इन चोटियों के एकदम विपरीत उत्तर के मैदान काफी समतल हैं और इनका ढलान बहुत धीमा है । दिल्ली से बंगाल की खाड़ी तक इनकी ढाल मात्र 200 मीटर है ।
जम्मू एवं कश्मीर राज्य का शहर जम्मू यहाँ का दूसरा सबसे बड़ा शहर और शीतकालीन राजधानी है । यहाँ स्थित वैष्णो देवी तीर्थ के प्रति आस्था के चलते लाखों श्रद्धालु जम्मू आते हैं । प्रसिद्ध पर्वतीय रमणीक स्थलों जैसे कटरा, कुड, पटनीटॉप और बटोटे आदि तक जम्मू से पहुंचा जा सकता है । कुड और पटनीटॉप के पूर्व में शिव का शुद्ध महादेव नामक प्रसिद्ध मन्दिर है । इसके आगे सनासर की खूबसूरत घाटी है जहाँ गुज्जर सरदार हर साल गर्मियों में एकत्र होते हैं । विश्व का सबसे ऊंचाई पर स्थित रेल आरक्षण केन्द्र लेह/लद्दाख में स्थित है, जो जम्मू एवं कश्मीर का ही भाग है। विश्व के दूसरे स्विट्जरलैण्ड कहे जाने वाले श्रीनगर का भी यह प्रवेश द्वार है ।
पर्यटन स्थल: हिमालय की तलहटी में स्थित जम्मू प्रदेश श्रीनगर, पहलगांम, गुलमर्ग, करगिल, लद्दाख और अपने मनोरम प्राकृतिक सौंदर्य एवं दस्तकारी के लिए प्रसिद्ध जंस्कर का प्रवेश द्वार है । यहां रघुनाथ मंदिर और रामवीरेश्वर मंदिर जैसे धार्मिक स्थल हैं । अन्य महत्वपूर्ण स्थलों में बाहूकिला, संस्कृत ग्रंथागार, अमर महल और डोगरा कला दीर्घा प्रसिद्ध हैं ।
अमृतसर
सिखों के चौथे गुरू राम दास द्वारा इसकी स्थापना 1577 में की गयी । अमृतसर का अर्थ है अमृत का सरोवर । यह स्वर्ण मंदिर में स्थित पवित्र सरोवर से सम्बन्धित है । यह एक सुन्दर और शांत स्थान है । सोलहवीं शताब्दी पहले बना दुर्गियाना मंदिर भी विशेष महत्व वाला है । स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित जलियां वाला बाग हमें अपने स्वाधीनता संघर्ष की याद दिलाता है ।
लुधियाना
ऊनी वस्त्रों, शॉलों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध तथा घरेलू और विदेशी बाजार के लिए सामग्री का निर्माण करने के लिए यह प्रसिद्ध है । अत्याधुनिक सुविधाओं वाला क्रिश्चयन मेडिकल कॉलेज यहां स्थित है जिसमें काफी बड़ी संख्या में लोग आते हैं ।
चण्डीगढ़
चण्डीगढ़ शहर का मास्टर प्लान यूरोपियन आधुनिक वास्तुकार ली कार्बूजिए द्वारा 1950 में बनाया गया । शिवालिक पर्वत श्रंखला तेह के किनारे पर बसा यह शहर हिमालय के बाहरी छोर पर स्थित है। इस शहर की प्रमुख विशेषताओं में नेक चंद रॉक गार्डन एक है । रेल मार्ग द्वारा मात्र 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस नगर से चार दैनिक रेलगाड़ियां नैरोगेज वाले पर्वतीय रेलवे शिमला तक जाती हैं । चण्डीगढ़ के सैक्टर 16 में स्थित रोज़ गार्डन एशिया का सबसे बड़ा रोज गार्डन है । यहाँ हजार से अधिक किस्म के गुलाब हैं । चण्डीगढ़ से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिंजौर का यादवेन्द्र गार्डन भी दर्शनीय स्थल है।
शिमला
अंग्रेजों द्वारा सन् 1819 में खोजा गया यह शहर बाद में भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बन गया । कालका-शिमला रेलवे लाइन का निर्माण 1903 में हुआ । शिमला आने का सर्वोतम समय सितम्बर मध्य से नवम्बर अंत तक है । शिमला से अनेक पगडंडियां जाती है । शिमला रिज पर सबसे ऊँची चोटी के निकट 2456 मीटर पर स्थित जाखु मन्दिर भक्त हनुमान के प्रति समर्पित है । शिमला से 10 किलोमीटर की दूरी पर तारा देवी का मन्दिर है, जो सितारों की देवी तारा देवी को समर्पित है ।
मुरादाबाद
पीतल की दस्तकारी के लिए प्रसिद्ध यह शहर देशी और विदेशी वस्तुओं का प्रसिद्ध बाजार है ।
दिल्ली
दिल्ली भारत की राजधानी है । यहाँ स्थित पुरानी दिल्ली सोलहवीं और सत्रहवीं सदी के बीच मुस्लिम शासकों की राजधानी थी । उस समय को याद दिलाने वाली अनेक महत्वपूर्ण इमारतें और स्मारक पुरानी दिल्ली में स्थित हैं । अंग्रेजों ने नई दिल्ली को भारत की राजधानी बनाया ।
दिल्ली एक सबसे बड़ा प्रवेश द्वार है जो भारतकी चारों दिशाओं को सुपरफास्ट रेलगाड़ियों से जोड़ता है दिल्ली में चार प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं । इन चार पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशननई दिल्ली रेलवे स्टेशन, हज़रत निजामुद्दीन और दिल्ली सराय रोहिल्ला रेलवे स्टेशनों से अनेक रेलगाड़ियां अपनी यात्रा प्रारम्भ और समाप्त करती हैं । दिल्ली और जयपुर/जोधपुर/उदयपुर के बीच चलने वाली कई रेलगाड़ियां पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन की बजाय यहां से अपनी रेल यात्रा प्रारम्भ/समाप्त करती हैं ।
लखनऊ
उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ उस नबाबी संस्कृति के लिए विशेष प्रसिद्ध है जो कला विशेषकर नृत्य और संगीत को बहुत प्रश्रय देती थी । शहर की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा आज भी अतीत को याद दिलाने वाली कथक नृत्य शैली और गज़ल गायकी की परिचायक है । कहते हैं कि लखनऊ में अतीत और वर्तमान मिलकर एक हो जाते हैं । यहाँ अतीत को वर्तमान से अलग करना सचमुच ही दुष्कर काम है । यह शहर शिया मुहर्रम समाराहों के लिए भी प्रसिद्ध है । लखनऊ प्रसिद्ध मुगलई कबाबों और इत्र के लिए भी विशेष रूप से ख्यात है । लखनऊ की कशीदाकारी और चिकनकारी के वस्त्र आज भी कपड़ों के शौकीन लोगों के संग्रह का हिस्सा हैं । लखनऊ में दो बड़े रेलवे स्टेशन चारबाग और लखनऊ रेलवे जंक्शन हैं ।
देहरादून
देहरादून पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में बसा देहरादून उत्तरांचल राज्य की राजधानी है और यह यहां स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी, वन संरक्षण्ा संस्थान, दून स्कूल के लिए भी जाना जाता है।
पठानकोट
पंजाब के धुर उत्तर में स्थित पठानकोट नगर यात्रियों के लिए एक जंक्शन का काम करता है । हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशनों डलहौजी और धर्मशाला का यह प्रवेश द्वार है और इसी मार्ग पर जम्मू एवं श्रीनगर भी हैं ।
धार्मिक महत्व के स्थान
यहां पर स्थित वैद्यनाथ मंदिर में 12 वास्तविक ज्योतिर्लिगों में से एक संरक्षित है । यहां का ज्वालामुखी मंदिर 51 शक्ति पीठों में से एक है । पालमपुर से 10 किलोमीटर पश्चिम में चौमुण्डा देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी है ।
हरिद्वार
भारत में हिदुओं के 7 पवित्र शहरों में से एक हरिद्वार शहर 1400 वर्ष पुरानी संस्कृति की याद दिलाता है । हरिद्वार का अर्थ है-हरि अर्थात् विष्णु का द्वार, जो शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में स्थित है । गंगा नदी हुगली में सागर से मिलने के लिए अपनी 2000 किलोमीटर की यात्रा प्रारम्भ करने से पहले हरिद्वार से गुजरती है ।
राष्ट्र की आर्थिक जीवन रेखा की रूप में उत्तर रेलवे प्रतिदिन 471 मालभाड़ा रेलगाड़ियों का संचलन करती है। उत्तर रेलवे लोहा और इस्पात के लिए कच्चा माल, सीमेण्ट, खाद्यान्न, उर्वरक, पीओएल और अन्य वस्तुओं का लदान करती है। उत्तर रेलवे बड़े उद्योगों जैसे खाद्यान्न, उर्वरक आदि का सतत् लदान करती है तथा रेल और सड़क मार्ग द्वारा भिजवाये जाने वाले सामान के आवागमन पर भी कड़ी निगरानी रखते हुए इन उद्योगों के साथ रेलवे के सम्बन्ध बेहतर बनाने तथा उसकी साझेदारी बढ़ाने पर भी जोर देती है ।
वर्तमान में रेलवे द्वारा सेवित औद्योगिक क्षेत्र निम्नानुसार हैं
*सीमेण्ट प्लाण्ट गुजरात-अम्बूजा सीमेण्ट लिमिटेड, रोपड़, अम्बाला (अम्बाला मण्डल के कीरतपुर स्टेशन के माध्यम से)
*पीओएल प्लाण्टस इंडियन ऑयल कम्पनी, पनकी, इंडियन ऑयल कारपोरेशन, सुचिपिंड (फिरोजपुर) आईओसी शोधक प्लाण्ट, पानीपत
* थर्मल पावर प्लाण्ट रूप नगर, बठिण्डा, लहरा मोहब्बत अन्य सेवित उद्योगों में बीएचईएल, उर्वरक उद्योग, वेस्टर्न इंडियन मैच कम्पनी, डिस्टिलरिज, तारपीन और रेसिन कम्पनी, चीनी मिल, स्कूटर फैक्टरी, एचएएल, एस्बेस्टेस मिटटी के बर्तन और साइकिल उद्योग ।
कारखाने
- लोकोमोटिव वर्कशॉप, चारबाग
- कैरिज एवं वैगन वर्कशॉप, आलमबाग
- कैरिज एवं वैगन वर्कशॉप,कालका
- पुल कारखाना, जलंधर
- संकेत एवं दूर संचार कारखाना, ग़ाज़ियाबाद
नवीनता का अग्रदूत
प्रगति की दिशा में भारत के तेजी से बढ़ते हुए कदम देशवासियों के श्रम ओर उद्यम के कारण ही नहीं बल्कि इसका एक कारण देश की विविधतापूर्ण संस्कृतियों में व्याप्त समस्त सकारात्मक परिवर्तनों से उपजी गुणवत्ता भी है । इस सांस्कृतिक विविधता का योगदान अप्रतिम है । देश के उत्तरी भाग में विविधता के इस लघु रूप को साकार करने में उत्तर रेलवे ने बड़ी ही दृढ़ता और धैर्य के साथ कार्य किया है । इसके लिए देश के विभिन्न भागों से यहाँ तक विशाल रेल नेटवर्क का निर्माण किया गया है । रेल सेवाओं को बड़ी ही दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता के साथ इस प्रकार के मार्गों से चलाया जाता है कि भारत की सांस्कृतिक झाँकी को देखने की इच्छा रखने वाले रेलयात्री के लिए भारत-भ्रमण सुगम हो सके ।
भारतीय रेलवे ने अतीत में तकनीकी ज्ञान और दक्षता के लिए प्रयास किया है तथा आज भी अपनी व्यापारिक प्रक्रिया में सभी तकनीकी परिवर्तनों को अपनाते हुए कार्य करने का प्रयास कर रही है । हम आज भी तकनीक में आने वाले बदलावों साथ तालमेल बैठाने तथा देश की अर्थव्यवस्था में आए अवरोध को दूर करने के प्रति प्रयासरत है ।
बेहतर विकास के लिए अपने आधारभूत ढाँचे को मजबूत करना आज प्रत्येक संगठन की आवश्यकता बन गई है । इस क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर रेलवे ने सुनियोजित एवं चरणबद्ध तरीके से कार्य किया है और इसके चलते स्वत: ही पर्यटन का भी विस्तार हुआ है ।
रेलवे पर सिगनल के विकास कार्य में यांत्रिक सिगनल प्रणाली के स्थान पर इलैक्ट्रो मैकेनिकल रिले और माइक्रोप्रोसेसर आधारित इण्टरलॉकिंग को अवस्थापित किया गया है । इसी प्रकार रेलवे पर टेलीकम्यूनिकेशन के क्षेत्र में इलैक्ट्रोमैकेनिकल एक्सचेंजों और ओवर हैड लाइनों के स्थान पर धीरे-धीरे अत्याधुनिक ऑप्टिकल फाइबर और डिजिटल इलैक्ट्रॉनिक तकनीक पर आधारित प्रणाली को लगाया जा रहा है ।
उत्तर रेलवे पर कुल 40 रूट रिले इण्टर लॉकिंग प्रणालियां कार्य कर रही हैं, जिनमें दिल्ली मेन पर लगाई गयी रूट रिले इंटरलॉकिंग को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में विश्व की सबसे बड़ी रूट रिले प्रणाली के रूप में मान्यता दी गयी है । उत्तर रेलवे पर स्थित कारखानों ने विभिन्न सिगनल गियरों के निर्माण में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है ।
कुछ परियोजनाओं को समय पर पूरा कर लेने के लिए उत्तर रेलवे ने अनेक जगहों पर एक साथ कार्य करने की एक नयी प्रणाली का उपयोग किया है । यह प्रणाली पैदल उपरिगामी पुलों के साथ-साथ व्यस्त सेक्शन पर ट्रैफिक ब्लॉक की समस्या से निपटने में भी सक्षम है । रेलवे के विभिन्न कारखानों में कुछ अत्याधुनिक कार्य जैसे एआरटी परिवर्तन, वैक्यूम प्रेशर इम्प्रेग्नेशन प्लाण्टस किए जा रहे हैं । तुगलकाबाद कारखाने ने लोको फेलियर एवं कभी-कभी एचपी कम्प्रेसर पाइप में अत्याधिक ऊष्मा के कारण लोको में आग लगने की घटनाओं में कमी लाने के लिए एक आधुनिक पद्धति का विकास किया है। कारखाने द्वारा एक्सप्रेसर कम्पार्टमेण्ट में एअर सर्कुलेशन सुधारने के लिए कुछ परिवर्तन किए गए हैं । इस समस्या से निपटने के लिए साइड पैनल से कार बॉडी फिल्टर लगाया गया है । बेहतर शीतलता प्रदान करने के साथ-साथ यह एक्सप्रेसर कम्पार्टमेण्ट को अनुरक्षण सहायक बनाता है ।
अर्थव्यवस्था में आये गतिरोध को दूर करने के साथ-साथ भारतीय रेलवे ने महसूस किया है कि तकनीकी उन्नति अपने आप में एक बेहद दिलचस्प चुनौती है । विकास के इस कार्य में पूरी प्रतिबद्धता के साथ जुटी रेलवे सामाजिक एवं आर्थिक क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों के अनुरूप स्वयं को तैयार कर रही है ।